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बच्चा से बस्ता है भारी
ये भबिष्य की है तेयारी
खोया बचपन, सहज हँसी भी
क्या बच्चे की है लाचारी
क्या बच्चे की है लाचारी
भाषा, पहले के आका की
पढ़ने की है मारामारी
भारत को इन्डिया जब कहते
हिन्दी लगती है बेचारी
हिन्दी लगती है बेचारी
टूटा सा घर देख रहे हो
वह विद्यालय है सरकारी
वह विद्यालय है सरकारी
ज्ञान, दान के बदले बेचे
शिक्षक लगता है व्यापारी
छीन रहा जो अधिकारों को
क्यों कहलाता है अधिकारी
क्यों कहलाता है अधिकारी
मंदिर, मस्जिद और संसद में
भरा पड़ा है भ्रष्टाचारीहुआ है विकसित देश हमारा
घर घर छायी है बेकारी
घर घर छायी है बेकारी
सुमन पढ़ा जनहित की बातें
बिल्कुल मानो है अखबारी
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सादर
श्यामल सुमनसादर
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
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कार्टून
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चुट्कुलें
पिताजी-राजू, कार का क्या करोगे ? भगवान् ने पैर किसलिए दिए हैं ? बेटा- जी, ब्रेक और एक्सीलेटर दबाने के लिए।
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Bahur Bahut Badhayi.
ReplyDelete-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
Achcha laga is blog par aakar.Shubkamnayen.
ReplyDelete"इस ब्लॉग पर बहुत महत्त्वपूर्ण कार्य किया जा रहा है!"
ReplyDelete--
ओंठों पर मधु-मुस्कान खिलाती, कोहरे में भोर हुई!
नए वर्ष की नई सुबह में, महके हृदय तुम्हारा!
संयुक्ताक्षर "श्रृ" सही है या "शृ", मिलत, खिलत, लजियात ... ... .
संपादक : सरस पायस